बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा , भारत पहुँची
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा , भारत पहुँची
पिछले 2 महीने से बांग्लादेश में लगातार प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन हो रहा था जिसके कारण अंत में 05 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया हैं |
बताया जा रहा हैं की उनके इस्तीफे के बाद वहाँ की आर्मी के प्रमुख जनरल वकार -उज-जमान ने सत्ता अपने हाथ में लेने की घोषणा कर दी हैं|
आर्मी ने सभी प्रमुख दलों के साथ बेथक करके 18 सदस्यीय अंतरिम सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा हैं |
बंगलदेश के सेना प्रमुख ने कहाँ की हम सरकार बनाए गे ,देश को संभाले गे तथा आंदोलन में मरे हुए सभी लोगों के साथ न्याय करेंगे |
दुनिया की शक्तिशाली महिलाओं में गिनी जाने वाली प्रधानमंत्री शेख हसीना जोकी पिछले 15 साल से बांग्लादेशपे राज कर रही थी अचानक ऐसा क्या हुआ की से उन्हे अपने देश को छोड़ कर जाना पड़ा
देखिए कैसे एक आरक्षण ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से उनका देश छुड़ा दिया
बांग्लादेश में भी भारत की तरह सरकारी नोकरियों में आरक्षण दिया जाता हैं जब 1971 में बांग्लादेश आजाद हुआ तो वह भी आरक्षण प्रणाली लागू की गई जिसमे चार वर्ग बनाए गए , भारत में जाती आधारित आरक्षण हैं, लेकिन बांग्लादेश में ऐसा ना होकर चार वर्ग सामान्य 20 % ,महिला 10%, पिछड़े जिले 40% तथा स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिए 30% सीटें आरक्षित की गई थी |
अब जब सामान्य वर्ग को केवल 20% आरक्षण मिलेगा तो विरोध तो होगा ही और उस विरोध के कारण साल 1976 में ही इसमे बदलाव किया गया तथा पिछड़े जिले का आरक्षण 40% से कम करके 20% कर दिया ,जिससे सामान्य वर्ग को 40% सीटें मिल गई |
1985 में इसमे दुबारा बदला गया तथा पिछड़े जिलों के आरक्षण को 20 से घटा कर 10% कर दिया तथा अल्पसंख्यक वर्ग को 5% आरक्षण दिया गया जिससे सामान्य वर्ग को 45 % आरक्षण मिला |
धीरे धीरे स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों की सीटें खाली रहनी लगी तथा उसका फायदा भी सामान्य वर्ग को मिलने लगा लेकिन साल 2009 में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के साथ उनके पोते पोतियों को भी आरक्षण का फायदा मिलने लगा और धीरे धीरे छात्रों में विरोध बढ़ने लगा था की 2012 में सामान्य वर्ग की 45% सीटों में से 1% सीटें विकलांगों को देकर 45 को 44% कर दिया जिससे सरकार के खिलाफ विरोध बढ़ने लगा |
छात्रों का विरोध और आरक्षण ही समाप्त
2018 में छात्रों के द्वारा विरोध प्रारंभ किया गया जोकी लगातार 4 महीने तकचला जिससे अंत में सरकार को आरक्षण कोटे को ही समाप्त करना पड़ा , उसके बाद सबकुछ ठीक चल ही रहा था की
जून 2024 में सरकार को 2012 वाला आरक्षण रखने वाली प्रणाली रखने का आदेश ढाका हाईकोर्ट के द्वारा दिया गया ,इससे छात्र नाराज हो गए तथा सड़कों पर उतर गए |
बांग्लादेश प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के मंत्रियों के बयान जिन्होंने आग में घी डालने का काम कीया –
अब जहां सरकार को इस विरोध को शांत करना चाइए था वही सरकार के बयानों ने इसे बढ़ाने का काम कर दिया , अब सरकार ने ऐसा क्या कहा जिससे विरोध प्रदर्शन और ज्यादा बढ़ गया|
तो भईया बात एसी थी की बांग्लादेश में एक शब्द प्रचलित हैं रजाकार जिसका मतलब होता हैं पाक समर्थक यानि गद्दार |
बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के मंत्रियों ने भी विरोध करने वाले छात्रों को रजाकार कह दिया और ये ही उनसे सबसे बड़ी गलती हो गई |
अब यदि कोई अपने हक की लड़ाई लड़े और उसे कोई गद्दार कह दे तो उसकी नाराजगी ज्यादा होगी और ऐसा ही यह हुआ तथा विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया तथा 300 लोगों की जान चली गई उसके साथ ही
आम जनता में भी ये संदेश चला गया की छात्रों को सरकार के द्वारा जबरदस्ती गद्दार बनाया जा रहा हैं |
बांग्लादेश प्रधानमंत्री की एक और गलती –
अंतिम गलती जो सरकार और बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना वो ये की 300 छात्रों की मोत पर शांत रहकर उन्होंने मेट्रो जलाने पर आँसू निकाल दिए जिससे लोगों में गलत संदेश गया |
उसके अलावा इस आंदोलन के नेतृत्व करने वाले 6 लोगों को जासूसी विभाग द्वारा जबरन बंदक बना कर उनसे वीडियो बनाये जिसमे उनके द्वारा आंदोलन को रोकने की अपील की गई थी लेकिन ये बात बहुत जल्द जनता के सामने आ गई और हजारों की संख्या मे लोग सड़कों पर उतरे तथा उसका अंत ये हुआ की 15 साल से सता में काबिज बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना को पूर्व प्रधानमंत्री बनना पड़ा |
बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना का यहाँ तक का सफर-
जन्म – 28 सितम्बर 1947 , तूँगीपारा में जोकी उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में आता था
माता – शेख फजीलातूनेसा मुजीब
पिता– शेख मुजीबुर्रहमान – इनके द्वारा ही 1971 में बांग्लादेश की आजादी के लिए आंदोलन को शुरू किया गया था
1971 में आजादी मिलने के बाद शेख मुजीबुर्रहमान को ही वहाँ का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया |
शिक्षा – ढाका – अजीमपुर गर्ल्स स्कूल , बेगम बदरुनिसा गर्ल्स कॉलेज
स्नातक – ढाका – ईडन कॉलज – कॉलेज के समय से ही ये राजनीति में आ गई थी तथा कॉलेज की उपाध्यक्ष बनी थी|
विवाह- 1967 में न्यूक्लियर सँटिस्ट वाजेद मिया
इनकी जिंदगी उस वक्त बदली जब 1975 में बांग्लादेश में तख्तापलट के दोरान इनके पिता सहित परिवार के 17 लोगों को राष्ट्रपति भवन में ही मार दिया था लेकिन इनका पति के साथ यूरोप में होने
के कारण ये बच गई और जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत के घर शरण ली |
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जियाऊर-रहमान की सैन्य सरकार ने इनके बांग्लादेश आने पर रोक लगा दी तब इन्होंने तथा इनके परिवार के बचे बाकी लोगों ने दिली में शरण ली|
1981 में बांग्लादेश गई तथा 1986 के चुनावों में विपक्ष की नेता बनी इसी दोरान इन्हे काफी बार हाउस अरेस्ट भी किया गया |
1996 में ये पहले बार प्रधानमंत्री बनी , उसके बाद 2001 से 2009 तक वापिस विपक्ष की नेता तथा 2009 से अभी तक लगातार प्रधानमंत्री बनी हुई थी |
जनवरी 2024 में हुए चुनावों में इन्होंने 300 मेसे 224 सीटें जीतकर पाँचवी बार प्रधानमंत्री बनी लेकिन उनका ये जादू छात्रों के सामने आकर समाप्त हो गया और एक बार फिर बांग्लादेश में सैन्य सरकार बन ने जा रही हैं |
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